एक लड़का अपनी शादी के लिये,
लड़की की तलाश मैं होता है,
उसी वक्त उसको,
एक विवाह संस्था की साईट पर,
एक लड़की मिलती है,
उसको वो, लड़की बहुत पसंद आती है,
उसी विवाह संस्था की साईट पर,
उसका फोन नंबर भी मिल जाता है,
पसंद आने के कारण,
वो, उसकी जात–पात नहीं देखता है,
और उसको,
फोन करता है,
हेलो!……मुझे आपका नंबर,
विवाहः संस्था की साईट पर मिला है,
आपका नाम। ….?
आपकी प्रोफाइल मैंने,
विवाहः संस्था की साईट पर देखीं है,
वह बोलती है,
हेलो! बोलो,
हा मैं बोल रही हूँ,
वो, पूछता है,
आपको कैसा लड़का चाहिए,
वह कहती है,
ऐसा कुछ नहीं,
खुद का घर,
और एक अच्छा जॉब,
वो बोलता है, ठीक है,
मेरे पास ये सब है,
वो उसको कहता है,
और एक बात मुझे आपको बतानी है,
वहः कहती है, क्या !,
वो कहता है,
मुझे एक पैर में,
नॉर्मल प्रोब्लेम है,
वह कहती है,
वास्तव मैं क्या हुआ है,
वो उसे बोलता है,
हम दोनों एक बार,
मुलाखात कर सकते है क्या !
फिर आपको मालूम पड़ जायेगा प्रोब्लेम क्या है,
वह कहती है, ठीक है!
पर उसका मन,
सोच मैं पड़ जाता है,
अगर उसने “ना” बोल दिया तो,
दूसरे ही दिन से,
दोनों फोन पर बात करना शुरू हो जाते है,
पर वो मन ही मन कहता है,
यही है मेरी समंदर की नाव,
जो डूबती नाव को,
किनारे पर ले जा सकती है,
पर वह क्या सोच रही थी पता नहीं,
मन मैं क्या चल रहा था उसके,
मालूम नहीं था,
पर उसकी बातो से उसको ऐसा लग रहा था,
की वह समझदार, शांत, और प्यारी है,
वह उसको जरूर साथ दे देगी,
अब हर दिन हाय,
शिलशिला शुरू हो गया,
दोनों जब भी वक्त मिलता था,
तो बातें करते रहते थे फोन पर,
बातो–बातो में अब एक दूसरे को जानने लगे थे,
वो उसको चाहने लगा था,
वो उसको मिलने के लिए,
तरस रहा था,
पंद्रह दिन हो गये थे,
उन्ह दोनों को, फोन पर बात करते करते,
आखिर कार ओ दिन आ ही गया,
जब वह उसको मिलने के लिए तैयार हो गयी,
वह उसको बता देती है,
की, हम दोनों किस जगह पर मिलेंगे,
उसको आज इतनी ख़ुशी हो रही थी,
की, जो सोचा था आज ओ सपना,
हकिगत मैं पूरा होने वाला था,
वह जो जगह बताती है,
उस जगह वो मिलने के लिए चला जाता है,
अब ओ वक्त आ ही जाता है,
जब ओ दोनों आमने–सामने आते है,
फोन पर की बात,
और आमने–सामने की बात मैं,
अपनापन महसूंस होता है,
वो मन–ही–मन खुश होता है,
वह भी मन–ही–मन मुस्कुराती है,
वह उसको,
बैठने के लिए बोलती है,
पानी देती है,
और वह उसके थोड़ी दूर,
बाजु मैं आकर बैठती है,
वह कहती है ,अच्छा होता अगर,
हम लोग मेरे घर पर मिलते,
वो कहता है ठीक है,
वह बात तो कर रही थी,
पर मुझे ऐसा लगा रहा था,
की वह कुछ ढूढ रही है,
क्यों की मैंने उसको बताया था की,
मेरे पैर मैं नॉर्मल प्रोब्लेम है,
वह मेरे पैर की तरफ देख रही थी,
उसके चेहरे पर उस वक्त एक अलग शी ख़ुशी दिख रही थी,
फिर वो सोच रहा था,
अगर मेरे पैर के कारण उसने “ना” कह दिया तो,
पर उसकी बातो से,
ऐसा नहीं लग रहा था,
की वह ना नही कहेगी,
मिलने के बाद,
घर जाने के लिए दोनों निकलते है,
वह उसके साथ ही निकलती है,
वह अपने घर चली जाती है,
और वो अपने घर,
मंज़िल तो मिली थी,
पर क्या ओ साथ देगी,
ये तो आने वाला वक्त ही बता देगा,
ये वो सोच रहा था,
एक ही रास्ते पर,
चलने वाले दो रही,
अब अलग– अलग रास्ते पर चले गये थे,
दूसरे दिन ही,
वह मेसेज करती है,
SORRY,
वो उसको पूछता नहीं है,
क्यों–की,
उसको पता है उसकी वजह क्या है,
वजह थी वो HANDICAP था.
बहुत मार्मिक रचना है.
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